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मेरा विचार....

इस ब्लोग के माध्यम से हमारी सनातन संस्कृति एवं सभ्यता पर नया प्रकाश डालनेका सनम्र प्रयास करता हूं । हमारी सभ्याता अति प्राचीन एवं सनातन हैं । हमारी संस्कृति वैश्विक है क्यों कि वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का उद्गम यहां से हुआ हैं । हमारे वेदों की स्तुतियां देखेंगे तो पता चलेगा कि हमने न केवल किसी प्रांत, देश, काल, जाति की ही नहीं, पर पूरे ब्रह्माण्ड के समग्र जीव सृष्टि के सार्वत्रिक कल्याण की बात ही कही हैं । हमने पूर्ण परब्रह्म की बात कहकर, सभी संप्रदाय प्रवर्तको को प्रणाम किया हैं । हमारा परमात्मा इस लिए पूर्ण हैं कि वो ईसा मसीहा भी हैं पयगम्बर भी हैं, तीर्थंकर भी हैं ओर ग्रंथसाहब भी हैं । निर्गुण भी है और सगुण भी हैं । कुत्तेमें भी हैं - चीटीमें भी हैं, ब्रह्मामें भी हैं,  मानवमें भी हैं । काल के सभी क्षणमें और देश के (ब्रह्माण्ड के) सभी कणमें बसा हैं ।

इसी ब्लोग के माध्यम से हम विचार-विनिमय करके ज्ञान संवर्धन का अनुपम प्रयास करेंगे ।

पण्डित परन्तप प्रेमशंकर - सिद्धपुर